“बांस और ओक का पेड़” – धैर्य और सक्रियता की कहानी

 

“बांस और ओक का पेड़” – धैर्य और सक्रियता की कहानी

एक हरे-भरे सुंदर घाटी में एक किसान ने दो बीज बोए — एक बांस (bamboo) का और एक ओक (oak) का। किसान ने दोनों को एक समान देखभाल दी — पानी, धूप और प्यार।

कुछ ही हफ्तों में ओक का बीज अंकुरित हो गया और धीरे-धीरे ऊँचा होता गया। जानवर उसकी छाया में आराम करते, और पक्षी उसकी शाखाओं में घोंसले बनाते। ओक का पेड़ घमंड से नीचे की ओर देखता और कहता,
"इस बांस के बीज का कोई फायदा नहीं, ये तो उगता ही नहीं।"

बांस का बीज, कई साल तक जमीन के नीचे ही रहा।
1 साल... 2 साल... 5 साल तक — कोई हलचल नहीं

लोग किसान से कहने लगे,
"इस बीज में कुछ नहीं है, इसे निकालकर कुछ और लगा लो।"
पर किसान मुस्कराकर कहता,
“धैर्य रखो, यह अपने तरीके से बढ़ रहा है।”

फिर छठे साल, एक चमत्कार हुआ।
बांस की कोंपल निकली — और सिर्फ 6 हफ्तों में, वह 80 फीट ऊँचा हो गया।

दरअसल, बांस पांच साल तक नीचे जड़ें मजबूत कर रहा था। ताकि जब समय आए, तो वह मजबूती से और तेजी से ऊपर बढ़ सके।


🌱 कहानी की सीख

  • ओक का पेड़ हमें सक्रियता सिखाता है — अवसर को पकड़ो, जल्दी बढ़ो और प्रभाव बनाओ।

  • बांस हमें धैर्य सिखाता है — कभी-कभी सफलता को समय चाहिए, और मजबूत नींव छिपी होती है।

दोनों जरूरी हैं।
बिना सक्रियता के अवसर छूट जाते हैं, और बिना धैर्य के हम बीच रास्ते में थक जाते हैं।

तो अगली बार जब आपको लगे कि मेहनत का फल नहीं मिल रहा —
खुद से पूछो:
"क्या मैं बांस की तरह जड़ें मजबूत कर रहा हूँ?"
या
"ओक की तरह ऊँचाई छू रहा हूँ?"

किसी भी स्थिति में — रुको मत, बढ़ते रहो।

Comments

Popular posts from this blog

Through the Storm - Always be Strong

Iran-Israel War 2025: Lessons the World Cannot Ignore

“The Bamboo and the Oak” – A Story of Patience and Proactiveness